आजकल बाजार में मिल रहे रसायन युक्त कृषि उत्पादों से बचने के लिए जैविक / प्राकृतिक खेती की अवधारणा को बढ़ावा मिल रहा हैं I वर्तमान में सभी लोग स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए जागरूक हो चुके हैं और बाजार में मिल रहे रसायन युक्त उत्पादों का विकल्प चाहते हैं I निकट भविष्य में जैविक या प्राकृतिक तरीके से उगाये गए कृषि उत्पादों की मांग ज्यादा होगी I ऐसे में किसान भाइयों को चाहिए कि जैविक कृषि के आधार हैं उनको जाने और उन्हें कैसे प्रयोग में लाना हैं उसको जानकर स्वयं का, परिवार का और अन्य सभी लोगों को पोषण से भरपूर भोजन उपलब्ध करवाएं I प्राकृतिक तरीके से खेती के नए नए तरीके जानने के लिए आप हमारी वेबसाईट पर अन्य लेख भी पढ़ सकते हैं I इस लेख में हम जानेंगे –
- जैव उर्वरक क्या हैं ?
- जैव उर्वरकों के प्रकार –
- जैव उर्वरकों की उपयोग विधि –
- बीज उपचार –
- कन्द वाली फसलों में प्रयोग –
- पौधों की जड़ों में प्रयोग–
- मृदा में सीधे प्रयोग –
- जैव उर्वरकों के प्रयोग में सावधानियां –
जैव उर्वरक क्या हैं –
जैव उर्वरक सूक्ष्मजीवों का मिश्रण होते हैं जो मिटटी में और पौधो की जड़ों में रहकर पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध करवाने का कार्य करते हैं I पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए पौधों को पोषण उपलब्ध करवाने का तरीका हैं जिससे मृदा में सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि के साथ मृदा उर्वरता बढती हैं
जैव उर्वरकों के प्रकार –
- राइजोबियम (Rhizobium): यह दलहनी फसलों तथा तिलहनी फसलों (जैसे अरहर, मूंग, चना, उड़द, मटर, सोयाबीन, सेम, मसूर, मूंगफली आदि) की जड़ों में सहजीवी के रूप में रहकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है। ये जीवाणु पौधो की जड़ो में प्रवेश करके छोटी छोटी गांठे बना लेते हैं जिनमे जीवाणुओं की संख्या बहुत ज्यादा रहती हैं I ये वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके पौधों के ग्रहण करने के लिए उपलब्ध करवाते हैं I
- एज़ोबैक्टर (Azotobacter): यह अदलहनी फसलों (जैसे गेहूं, मक्का) की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है। यह मृदा और जड़ों की सतह पर मुक्त रूप से रहते हुए वायुमंडल में उपस्थित उपस्थित नाइट्रोजन को पौधों के लिए उपलब्ध करवाते हैं I
- एज़ोस्पिरिलम (Azospirillum): यह जड़ों के आसपास रहकर नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके पौधों को उपलब्ध करवाते हैं I विशेषकर मक्का, जौ, जई, ज्वार और चारा वाली फसलों में उपयोगी होता हैं ।
- फॉस्फोबैक्टीरिया (Phosphate Solubilizing Bacteria – PSB): मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फोस्फोरस को घुलनशील बनाता है, जिससे पौधे उसे आसानी से ग्रहण कर सकते हैं। इसका उपयोग सभी फसलों में फोस्फोरस की कमी को पूरा करने में किया जाता हैं I
- ब्लू ग्रीन एल्गी (Blue Green Algae – BGA): विशेष रूप से धान के खेतों में नाइट्रोजन को स्थिर करने के लिए उपयोगी है। इसके प्रयोग से लगभग 25-30 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टर की बचत की जा सकती हैं I
- माइकोराइजा (Mycorrhiza): पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाकर पानी और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है। यह विशेषतया फलदार पौधो (जैसे पपीता) की पैदावार बढाने में बहुत फायदेमंद हैं I
जैव उर्वरकों की उपयोग विधि –
- बीज उपचार – आवश्यतानुसार पानी लेकर इसमें 250 ग्राम गुड़ का घोल बनाएं तथा ठंडा होने पर इसमें तीन पैकेट (600 ग्राम) जैव उर्वरक मिला दें I इस मिश्रण को हाथों से या सीड ड्रेसिंग ड्रम की सहायता से बीजों को पलटते हुए इस प्रकार समान रूप से मिला दें जिससे तैयार जैव उर्वरक घोल की एक बारीक परत चढ़ जाए I इस प्रकार से उपचारित बीजों को छाया में सुखाकर बुवाई के लिए प्रयोग करें I
- कन्द वाली फसलों में प्रयोग – एक कि.ग्रा. एजोटोबेक्टर और एक कि.ग्रा. पी.एस.बी. का 25 से 30 लीटर पानी में घोल बनाकर कंदों को 10 से 15 मिनट तक डुबोएं I इसके बाद बुवाई में प्रयोग करें I यह विधि गन्ना, आलू, अरबी और अदरक जैसी फसलों में प्रयोग की जाती हैं I
- पौधों की जड़ों में प्रयोग– सब्जी वाली फसले, जिनमे पौधो की रोपाई की जाती हैं (जैसे टमाटर, मिर्च, बैंगन, पत्तागोभी, फूलगोभी तथा प्याज आदि) की जड़ों को जैव उर्वरकों से उपचारित किया जाता हैं I इस हेतु एक चौड़े बर्तन में 6 से 8 लीटर पानी में एक कि.ग्रा. एजोटोबेक्टर और एक कि.ग्रा. पी.एस.बी. तथा 250 ग्राम गुड़ का घोल बनाएं I पौधे जिनकी जड़ों को उपचारित किया जाना हैं, को उखाड़कर जड़े साफ़ कर लें तथा 70-100 पौधों का बंडल बनाकर जैव उर्वरक घोल में 10 से 15 मिनट तक डुबोएं तथा निकालकर रोपाई के लिए प्रयोग करें I
- मृदा में सीधे प्रयोग – जैव उर्वरक का प्रयोग सीधे मृदा में किये जाने हेतु 5 से 10 कि.ग्रा. जैव उर्वरक को 80 से 100 कि.ग्रा. मृदा अथवा कम्पोस्ट खाद में मिलाकर 10 से 12 घंटे के लिए छोड़ दें तथा अंतिम जुताई के समय खेत में मिला दें I
जैव उर्वरकों के प्रयोग में सावधानियां –
- जैव उर्वरक का नाम, किस फसल में प्रयोग किया जा सकता हैं तथा जैव उर्वरक की वैधता अवधि की जांच अवश्य करें
- बाजार से लाने के उपरांत हमेशा छायादार स्थान पर रखें
आशा हैं, जैव उर्वरक के सन्दर्भ में लिखा गया ये लेख आपको पसंद आया होगा I इस वेबसाईट पर लिखे गए लेख के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सुझाव कमेन्ट करें अथवा ईमेल करें I